क्या आपके पास है मंत्रीजी के सवाल का जवाब

अरविन्द शर्मा
राजस्थान के जल संसाधन मंत्री महिपालसिंह मदेरणा के सवाल का जवाब क्या आपके पास है? सवाल से पहले राज्य की स्थिति पर गौर फरमा लीजिए। अगर आबादी वर्तमान दर से बढ़ती रही तो वर्ष 2026 तक प्रदेश जल की पूर्णतया कमी वाला प्रदेश बन जाएगा। अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के मुताबिक प्रति व्यक्ति दो हजार धन मीटर जल उपलब्ध होना चाहिए जबकि राजस्थान में केवल 660 घन मीटर ही उपलब्ध है।
अब मंत्री का सवाल भी सुनिए। विधानसभा में प्रतिपक्ष के बायकाट के बाद मंत्री मदरेणा ने कहा कि कोई फैक्टरी नहीं जो पानी पैदा किया जा सके? लेकिन मंत्रीजी शायद यह भूल गए है कि फैक्टरी तो नहीं मगर राज्य की जनता ने उन्हें इसलिए चुना है ताकि वह राज्य की सबसे गंभीर समस्या को दूर कर सके। लेकिन हालात कितने भयानक है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि आप किसी भी गांव-ढाणी में चले जाइए, लोग टैंकर या पानी माफियाओं के जाल में फंसे हुए है। अब सवाल यह उठता है कि जब पानी की कोई फैक्टरी नहीं है तो इन टैंकर व पानी माफियाओं के पास पानी कहां से आ रहा है? दूसरा सवाल जब राज्य में पानी नहीं है तो राज्य में पानी की बोतले और अन्य संसाधनों से पानी बेचने वालों के पास पानी कहां से आ रहा है? इन सवालों का जवाब शायद मंत्रीजी को आने वाले दिनों में देना होगा। यहां का आम आदमी और किसान पानी के लिए तरस रहा है तो पानी माफिया चांदी कूट रहे हैं। ऊपर से मंत्रीजी का यह जवाब कि उनके पास कोई फैक्टरी नहीं है बड़ा ही हास्यपद है। राज्य के हाल बेहद चिंताजनक है। वर्ष 1984 में राज्य में 12 खंड ही डार्क जोन थे जिनकी संख्या 2004 में बढ़कर 186 हो गई और वर्ष 2008 में यह संख्या 195 तक पहुंच गई। प्राथमिक तौर जो आंकड़ें उपलब्ध हुए हैं उनके मुताबिक कई जल भंडार अगले दस साल में खत्म हो जाएंगे। मौसम तंत्र में जिस तरह बदलाव हो रहा है उससे चिंता बढ़ती जा रही है। पिछले 15 साल से राज्य में कुल वर्षा की मात्रा में भी कमी आई है। प्रदेश में उपलब्ध जल-संसाधनों का 76.88 प्रतिशत उपयोग किया जा चुका है। उपलब्ध पानी में से 83 प्रतिशत उपयोग कृषि,11 प्रतिशत पेयजल और छह प्रतिशत औद्योगिक उपयोग में हो रहा है। प्रदेश में 18 लाख आबादी की बढ़ोतरी हो रही है। इससे पानी की कमी लगातार बढ़ती जाएगी। वर्तमान में पानी के लिए चल रही करीब 21 हजार करोड़ रुपए की योजनाओं के अतिरिक्त 29 हजार करोड़ की ओर जरूरत होगी। इस साल 14 जिलों में ही सामान्य वर्षा हुई है 19 जिले कम वर्षा वाले हैं।

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