RPSC : घर-घर रोजगार होगा का स्लोगन लिखने वाला गिरोह चुनाव होते ही सबसे पहले पलायन क्यों कर जाता है?

बेरोजगार हूं सरकार! : सीरिज-3 

आज ट्विटर पर दो हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं. #राजस्थान_माँगे_AEN2018_रिजल्ट और #Justice_RAS2018_Result इसकी वजह है-आरपीएससी ने हमारे नौजवानों को रूला दिया है. उनसे सपने तोड़ दिए हैं. दो-दो-चार-चार साल तक परीक्षा का चक्र पूरा नहीं होता है. आयोग इन हजारों छात्रों का दर्द सुनने को भी तैयार नहीं है. इनके लिए कोई कुछ लिख दे तो उसे ये दुश्मन नंबर-1 मान लेते हैं. आरपीएससी के अफसर इन युवाओं को धमकाने और इन्हें दुश्मन-1 मानने से पहले ये क्यों नहीं सोचते कि वे भी कभी इसी तरह हक मांगने के लिए आंदोलन चलाते थे. नौकरी मांगते थे. युवाओं को समझना होगा कि इसके लिए सिर्फ आयाेग जिम्मेदार नहीं है, बल्कि इसके पीछे वह राजनेता, जो नौजवानों को सिर्फ एक वोट के तौर पर देखते हैं.

सत्ता पाने के लिए नेता युवाओं से बार-बार कहते हैं, वोट उन्हें ही दीजिएगा. लेकिन-क्या कभी नेता उनसे रोजगार के बारे में पूछते हैं. नौजवानों ने भी कभी नहीं पूछा कि यह बताओ कि सरकार में जाने के लिए फिर क्यों दिन रात मरते हो. ये राजनीति का वह मजाक का दौर है, जिसके केंद्र बिंदु में सिर्फ युवा है. युवा दिन रात ट्वीट पर व्यस्त है और नेता अपने एजेंडे में. नौकरी देने वाले आयोग भी इसी राजनीति का केंद्र बिंदु बन चुके हैं.
आरपीएसी भी इसी राजनीति के नए दौर से गुजर रहा है. ट्विटर-ट्विटर खेल रहे युवा हर दिन सुबह उठते ही आयोग और नेताओं को कोसने के लिए जुट जाते हैं, लेकिन नेता और आयाेग आंखें बंद करके बैठे हैं. इसके लिए दोषी भी युवा ही है. बादलों की तरह हर पांच साल में उड़ते हुए आने वाली सरकारों को पता है कि अगला नंबर तो उनका ही है. युवाओं के पास उन्हें वोट देने के अलावा चारा ही क्या है. असल में, हमारी राजनीति के पास आपके रोजगार भविष्य के लिए कोई ठोस आइडिया नहीं है. इसलिए ऐसे आइडिया की तलाश है जो आपको बहस में उलझा सके. आपको खुराक दे सके कि वो आपको मिल रहा है.

इस बीच में कुछ नौजवानों से अफीम का नशा उतरा है तो वे अपने नौकरी के सवाल को लेकर पूछ रहे हैं. सवाल है-आरपीएससी आरएएस-2018 का परिणाम कब जारी करेगा. दो वर्ष से अधिक समय से शारीरिक मानसिक और आर्थिक रूप से परेशान एईएन परीक्षा-2018 के अभ्यर्थी भी यही पूछ रहे हैं कि परिणाम कब आएगा. ट्विटर पर हैशटैग चल रहा है-राजस्थान मांगे एईएन-2018 का रिजल्ट. मगर जो जवाब मिल रहा है उसे आप भी सुनिए. आरपीएससी कह रहा है कि अभी कोरोना चल रहा है और कोर्ट में कुछ मामले अटके हैं, जिन्हें जल्द दूर कराएंगे. जिन नेताअों को यह छात्र हर दिन टैग कर रहे हैं, उन्होंने जवाब नहीं देकर एक तरह से हाथ जोड़ लिया है कि उनके पास नौकरी नहीं है. 

चुनावों के दौरान राजस्थान में ठगों का एक गिरोह आता है, जो पैसे लेकर आपके लिए स्लोगन लिखता है. पलायन नहीं होगा. घर-घर रोजगार होगा. चुनाव के बाद वो गिरोह स्लोगन लिखने का पैसा लेकर सबसे पहले पलायन कर जाता है. रह जाती है जनता और चुनाव जीत कर विधायक. आरएएस और एईएन परीक्षा के छात्र पूछ रहे हैं कि कोराना की आड़ में अपनी नाकामयाबी और ढीली कार्यशैली को क्यों छुपा रहे हो. 2-2 साल पहले करवाई गई एग्जाम का भी रिजल्ट नहीं निकाल पा रहे हैं तो नई भर्ती क्या खाक करोगे. असल में, यह नौकरी के लिए टूट चुके छात्रों के सवाल नहीं, हताशा से उपज दर्द है. 

छात्रों ने मुझे कई संदेश भेजे हैं. वे कहते हैं कि वे ट्वीट करके सरकार को कई बार लिख चुके हैं. कई विधायक और सांसद पत्र लिख चुके हैं, लेकिन न तो आरपीएससी सुन रही है और न ही इन विभागों के मंत्री. आखिर सरकार नौकरियां क्यों नहीं दे रही है, नहीं देनी है तो साफ-साफ कह दे कि नहीं देंगे मगर फॉर्म निकालकर योग्यता परीक्षाएं पास कराकर कई-कई साल तक लटकाने का क्या तुक है.

अगली सीरिज रविवार को... आपके सुझाव और अन्य एग्जाम से जुड़े मुद्दे हमें लिख भेजें ईमेल- sarviind@gmail.com पर

Post a Comment

0 Comments