बेरोजगार हूं सरकार! : सीरिज-6
मुझे पता है कि आज भी नेताओं ने बड़े-बड़े बयान दिए हैं. बहस के गरमा-गरम मुद्दे दिए हैं. लेकिन मैं आज आपको अमित के बारे में बताना चाहता हूं. इसलिए बता रहा हूं ताकि आप यह समझ सकें कि इस मुद्दे को क्यों राजस्थान की प्राथमिकता सूची में पहले नंबर पर लाना जरूरी है. अमित उस राजस्थान के नौजवानों का प्रतिनिधित्व करता है जिसकी संख्या करोड़ों में है. जिन्हें सियासत और सिस्टम सिर्फ उल्लू बनाती है. जिनके लिए पॉलिटिक्स में आए दिन भावुक मुद्दों को गढ़ा जाता है, ताकि ऐसे नौजवानों को बहकाया जा सके. क्योंकि सबको पता है कि जिस दिन अमित जैसे नौजवानों को इन भावुक मुद्दों का खेल समझ आ गया उस दिन सियासी नेताओं का खेल खत्म हो जाएगा. मगर चिंता मत कीजिए. इस लड़ाई में हमेशा सियासी नेता ही जीतेंगे. उन्हें आप बदल सकते हैं, हरा नहीं सकते हैं. इसलिए अमित जैसे नौजवानों को हार जाना पड़ता है.
सैकंड ग्रेड शिक्षक भर्ती-2018 के 9300 पदों को भरने के लिए अमित जैसे हजारों युवा हर दिन ट्विटर पर लगे हुए हैं. नेताओं को टैग कर-करके परेशान हो चुके हैं, लेकिन कोई इनकी सुनने वाला नहीं है. आरपीएससी ने 2 साल बाद पहले भर्ती कराई. सभी प्रक्रिया पूरी करके शिक्षा निदेशालय को अमित जैसे हजारों युवाओं के दस्तावेज भेज दिए, ताकि नियुक्ति नहीं मिल सके. इनके परिवार के सभी सपने पूरे हो सके. मगर इन नेताओं को अपनी कुर्सी की चिंता ज्यादा हैं. लॉक डाउन में सरकार केंद्र को कोस रही. पैसों का रोना रोया जा रहा है, लेकिन कोई इन बेरोजगारों के घरों में झांककर देखने को तैयार नहीं है. अमित जैसे युवाओं को पूछने के लिए कोई आगे नहीं आ रहा. चुनाव के वक्त वोट मांगने के लिए आना वाला गिरोह भी गायब हैं.
मुझे पता है कि आज भी नेताओं ने बड़े-बड़े बयान दिए हैं. बहस के गरमा-गरम मुद्दे दिए हैं. लेकिन मैं आज आपको अमित के बारे में बताना चाहता हूं. इसलिए बता रहा हूं ताकि आप यह समझ सकें कि इस मुद्दे को क्यों राजस्थान की प्राथमिकता सूची में पहले नंबर पर लाना जरूरी है. अमित उस राजस्थान के नौजवानों का प्रतिनिधित्व करता है जिसकी संख्या करोड़ों में है. जिन्हें सियासत और सिस्टम सिर्फ उल्लू बनाती है. जिनके लिए पॉलिटिक्स में आए दिन भावुक मुद्दों को गढ़ा जाता है, ताकि ऐसे नौजवानों को बहकाया जा सके. क्योंकि सबको पता है कि जिस दिन अमित जैसे नौजवानों को इन भावुक मुद्दों का खेल समझ आ गया उस दिन सियासी नेताओं का खेल खत्म हो जाएगा. मगर चिंता मत कीजिए. इस लड़ाई में हमेशा सियासी नेता ही जीतेंगे. उन्हें आप बदल सकते हैं, हरा नहीं सकते हैं. इसलिए अमित जैसे नौजवानों को हार जाना पड़ता है.
सैकंड ग्रेड शिक्षक भर्ती-2018 के 9300 पदों को भरने के लिए अमित जैसे हजारों युवा हर दिन ट्विटर पर लगे हुए हैं. नेताओं को टैग कर-करके परेशान हो चुके हैं, लेकिन कोई इनकी सुनने वाला नहीं है. आरपीएससी ने 2 साल बाद पहले भर्ती कराई. सभी प्रक्रिया पूरी करके शिक्षा निदेशालय को अमित जैसे हजारों युवाओं के दस्तावेज भेज दिए, ताकि नियुक्ति नहीं मिल सके. इनके परिवार के सभी सपने पूरे हो सके. मगर इन नेताओं को अपनी कुर्सी की चिंता ज्यादा हैं. लॉक डाउन में सरकार केंद्र को कोस रही. पैसों का रोना रोया जा रहा है, लेकिन कोई इन बेरोजगारों के घरों में झांककर देखने को तैयार नहीं है. अमित जैसे युवाओं को पूछने के लिए कोई आगे नहीं आ रहा. चुनाव के वक्त वोट मांगने के लिए आना वाला गिरोह भी गायब हैं.
राज्यसभा चुनाव के लिए लाखों-करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं. एक-दूसरे पर जो आरोप लगाए जा रहे हैं, उससे पता चलता है कि हमारी राजनीति स्तरहीन हो चुकी है. इस बात की होड़ लगी है कि कौन कितना फालतू और खराब बोल सकता है. इसके पीछे एक रणनीति भी है. चुनाव इन्हीं सब तू तू मैं मैं हो जाए और नौजवानों के मुद्दे चुनावी मंच तक पहुंच ही न सकें. इसलिए तो 916 पदों के लिए हुई एईएन भर्ती का रिजल्ट करीब 200 दिन बाद भी जारी नहीं हुआ है. अभ्यर्थी कहते हैं-वे रिजल्ट के लिए अभियान चलाते-चलते थक चुके हैं. परेशान हो चुके हैं और उनके घरवाले उनसे परेशान हो गए हैं. आरपीएससी ने साल 2018 में यह भर्ती निकाली थी. अब 16487 अभ्यर्थी मुख्य परीक्षा के रिजल्ट का इंतजार कर रहे हैं. हैरानी यह है कि इसके बाद इंटरव्यू भी होने हैं. सहायक अभियंता यानी एईएन परीक्षा के लिए 5 अप्रैल 2018 को नोटिफिकेशन जारी किया गया था. प्रारंभिक परीक्षा 16 दिसंबर को कराई गई, लेकिन रिजल्ट 18 जुलाई 2019 को जारी किया गया. आरपीएससी ने मुख्य परीक्षा की तिथि नौ व दस अक्टूबर 2019 घोषित की थी. आरपीएससी ने अपरिहार्य कारण बताते हुए मुख्य परीक्षा निरस्त कर दी. इसके बाद मुख्य परीक्षा तीन से पांच दिसंबर 2019 को कराई गई. अभी तक मुख्य परीक्षा का रिजल्ट जारी नहीं होने से अभ्यर्थी परेशान हो रहे हैं. उनका कहना है कि मुख्य परीक्षा का रिजल्ट जारी होने पर उन्हें इंटरव्यू की तैयारी भी करनी है. सांसद किरोड़ीलाल मीणा ट्वीट कर चुके हैं, लेकिन उनकी कोई सुन नहीं रहा. वे हर बात पर युवा के साथ हो जाते हैं. यह नेताओं को कहां पसंद है
दिल्ली और राजस्थान से आने वाले बड़े बयानों की खबरों के बीच ये लाखों नौजवान अपनी चिंता की खबरें ढूंढ रहे होते हैं. वे समझ गए हैं कि सरकारें उन्हें नौकरी देने के नाम पर क्या कर रही हैं. आज ही सुबह ही कुछ युवाओं ने मैसेज किया कि राजस्थान पुलिस कांस्टेबल भर्ती 2018 में 1600 पद अभी खाली है. साल 2016 में निकाली गई एसआई भर्ती चार साल से पूरी नहीं कराई जा रही है. हमारी मदद कीजिए. कोरोना काल में पुलिस के काम को सराहा जाता है और लंबे-लंबे भाषण दिए जा रहे हैं. इन्हें कोरोना वॉरियर्स कहा जाने लगा है, लेकिन हालात यह है कि पुलिस की कमी के बीच भर्तियां तक पूरी नहीं कराई जाती. एसआई के 511 पदों पर इंटरव्यू एक साल से नहीं कराए हैं. अभ्यर्थी अब सोशल मीडिया पर कहने लगे हैं-न तो चोर है, न चौकीदार है, साहब हम तो बेरोजगार हैं. सरकार ने 13 हजार पदों के लिए भर्ती निकाली थी. पूरी प्रक्रिया होने के बाद भी कई जिलों में पद खाली रह गए. कई जिलों में मेरिट में नहीं आने के कारण पद खाली रह गए. करीब डेढ़ साल से शेष रहे 1600 पदों को भरने की मांग को लेकर छात्र कई विधायकों से मिल चुके हैं और विधायक मुख्यमंत्री को पत्र भी लिख चुके हैं. अभ्यर्थी #RajasthanPoliceVacancy2018 पर कैंपेन चलाकर थक चुके हैं. भावना गुर्जर का ट्वीट दिल दुखाने वाला है. वह लिखती हैं-वे किसान के बच्चे हैं. दुखी तो जन्म से ही है. नियुक्ति दे दी जाए तो थोड़ी खुशी मिल सकती है. राजनीति अपने स्वार्थ को ढूंढने में व्यस्थ हैं. नौजवानों की चिंता किसे होने वाली हैं. बस, वह दिन न आ जाए, जब ये युवा इतने गुस्से-आक्रोश में आ जाए कि राजनीति ही युवानीति बन जाए.
दिल्ली और राजस्थान से आने वाले बड़े बयानों की खबरों के बीच ये लाखों नौजवान अपनी चिंता की खबरें ढूंढ रहे होते हैं. वे समझ गए हैं कि सरकारें उन्हें नौकरी देने के नाम पर क्या कर रही हैं. आज ही सुबह ही कुछ युवाओं ने मैसेज किया कि राजस्थान पुलिस कांस्टेबल भर्ती 2018 में 1600 पद अभी खाली है. साल 2016 में निकाली गई एसआई भर्ती चार साल से पूरी नहीं कराई जा रही है. हमारी मदद कीजिए. कोरोना काल में पुलिस के काम को सराहा जाता है और लंबे-लंबे भाषण दिए जा रहे हैं. इन्हें कोरोना वॉरियर्स कहा जाने लगा है, लेकिन हालात यह है कि पुलिस की कमी के बीच भर्तियां तक पूरी नहीं कराई जाती. एसआई के 511 पदों पर इंटरव्यू एक साल से नहीं कराए हैं. अभ्यर्थी अब सोशल मीडिया पर कहने लगे हैं-न तो चोर है, न चौकीदार है, साहब हम तो बेरोजगार हैं. सरकार ने 13 हजार पदों के लिए भर्ती निकाली थी. पूरी प्रक्रिया होने के बाद भी कई जिलों में पद खाली रह गए. कई जिलों में मेरिट में नहीं आने के कारण पद खाली रह गए. करीब डेढ़ साल से शेष रहे 1600 पदों को भरने की मांग को लेकर छात्र कई विधायकों से मिल चुके हैं और विधायक मुख्यमंत्री को पत्र भी लिख चुके हैं. अभ्यर्थी #RajasthanPoliceVacancy2018 पर कैंपेन चलाकर थक चुके हैं. भावना गुर्जर का ट्वीट दिल दुखाने वाला है. वह लिखती हैं-वे किसान के बच्चे हैं. दुखी तो जन्म से ही है. नियुक्ति दे दी जाए तो थोड़ी खुशी मिल सकती है. राजनीति अपने स्वार्थ को ढूंढने में व्यस्थ हैं. नौजवानों की चिंता किसे होने वाली हैं. बस, वह दिन न आ जाए, जब ये युवा इतने गुस्से-आक्रोश में आ जाए कि राजनीति ही युवानीति बन जाए.
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