मैं बेरोजगार हूं सरकार की यह आठवीं किश्त है. पहली अच्छी बात यह है कि हमारी सीरिज का बड़ा असर हो रहा है. अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड ने 14 भर्तियों का कैलेंडर जारी कर दिया है. शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा फेसबुक पर लाइव आए और उन्होंने कुछ भर्तियों का स्टेट्स बताया. आरपीएससी ने भी सैकंड ग्रेड शिक्षक भर्ती में नियुक्ति प्रक्रिया शुरू कर दी है. अब बात उन बेरोजगार युवाओं के दर्द की, जिनकी अब तक सुनवाई नहीं हो रही. या असल में, सरकार उन्हें सुनना ही नहीं चाहती है. इसके लिए जिम्मेदारी भी यही युवा है.
हमारे नौजवानों की पोलिटिकल क्वालिटी वाकई बहुत खराब हो चुकी है. वे सिर्फ हिन्दू-मुस्लिम टॉपिक में एक्सेल यानी अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं. नौकरी के टॉपिक पर लाचार नजर आते हैं. एक पैटर्न तो हुआ कि भर्ती निकालो, एक दो साल उम्मीद बेचो, इम्तहान में उलझाए रखो और फिर इम्तहान रद्द कर दो, तब तक वोट ले लो. दूसरा पैटर्न यह लग रहा है कि सरकारी पदों को समाप्त किया जाए. क्या नौजवानों को यह सब पता है, जब वे कोचिंग के लिए लाखों फूंक रहे हैं, अपनी जवानी झोंकने का फैसला कर रहे होते हैं तो क्या उन्हें पता होता है कि भर्ती कम होगी, नौकरी नहीं निकलेगी.
रीट-अंग्रेजी और बाकी रीट के अभ्यर्थियों को शिक्षा मंत्री से बेहद उम्मीदें थी. वे एक दिन पहले उनसे मिलकर भी आए थे, लेकिन उन्हें फिर आश्वासन का लोलीपोप दे दिया गया. अब इन छात्रों का क्या कसूर है. वे फिर ट्विटर-ट्विटर खेलते रहेंगे. सरकार उनके ट्वीट को नजर अंदाज करती रहेगी. लेकिन-यह सब चलेगा कब तक. कभी-कभी लगता है कि नेता इन्हें नचाते रहते हैं और ये नाचते रहते हैं. यदि इन युवाओं को नौकरी नहीं देनी है तो सरकार मना क्यों नहीं कर देती. नेता इन्हें हर बार आश्वासन का काढ़ा क्यों पिलाते रहते हैं. रीट-लेवल-2 अंग्रेजी के लिए सरकार सुप्रीम कोर्ट जा ही क्यों कर रही है. सांवरमल शर्मा ने लिखा-हाईकोर्ट के निर्देश के बाद भी नियुक्ति नहीं दी जा रही.
इस बीच खबर आई है कि वरिष्ठ अध्यापक भर्ती-परीक्षा के नौ हजार से अधिक पदों को भी सरकार लटकाना चाहती है. आरपीएससी ने अभी तक फाइनल आंसर-की तक जारी नहीं की. मार्क्स बताए बगैर ही नियुक्ति की बड़ी बातें कर दी गई. अब इस मामले को लेकर कोर्ट में याचिका दायर कर दी गई है. यह पैतरा सही है. यदि यह नियुक्ति अटक जाती है तो सरकार कहेगी, हम क्या करें?
राजस्थान में टिड्डी दल ने किसानों की नींद उड़ा रखी है. इस बीच कृषि पर्यवेक्षक भर्ती दो साल से लंबित है. ये वुा हर दिन ट्विटर पर लिख रहे हैं. वे कहते हैं-कृषि पर्यवेक्षक की अहम भूमिका होती है. रामनिवास चौधरी ने मुझे ट्विटर पर लिखकर भेजा है. कुलदीप सिंह ने ट्विटर पर लिखकर कहा कि सदी का सबसे बड़ा टिडि्डयों का हमला होने जाने पर भी राजस्थान सरकार इन पर नियंत्रण पाने के लिए कृषि पर्यवेक्षक भर्ती-2018 के चयनितों को ज्वॉइनिंग नहीं दे रही. मुझे कई युवाओं ने विधायकों की चिट्ठी भेजी हैं. वे बताते हैं कि विधायक मुख्यमंत्री को नियुक्ति के लिए कई पत्र लिख चुके हैं, फिर भी उन्हें नियुक्ति क्यों नहीं मिल रही. मैं अकसर कहता हूं कि सिर्फ पत्रों से कुछ नहीं होने वाला. इन विधायकों से पूछिए कि वे मुख्यमंत्री के पास जाकर कब दबाव डालेंगे. सरकार क्या कर रही है. नियुक्ति देने में 2-2 बरस का समय क्यों लगाया जा रहा है.
एलडीसी भर्ती-2018 के 587 पदों का हिसाब अभी तक नहीं मिल पाया है. खुशबू ने लिखकर भेजा है कि बेरोजगार युवा रोज 100 किमी गांव से चलक सीएमओ में दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर है. कभी अधिकारियों के तो कभी विधायकों के पैर पकड़ रहे हैं, लेकिन न्याय नहीं मिल रहा है. शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने इस मामले को मुख्यमंत्री तक पहुंचाने का वादा किया था, लेकिन वे अभी तक अपने वादे को पूरा नहीं कर पा रहे हैं. युवा हर दिन ट्विटर पर उन्हें वादा याद दिलाते हैं. मैं शिक्षा मंत्री से अपील करता हूं कि इन छात्रों को बता दीजिए कि उन्हें न्याय मिलेगा या नहीं. ये छात्र 30 जून को जयपुर में धरने की तैयारी में है. अब आप सोचिए कि देश का भविष्य पूरा लॉक डाउन ट्विटर पर लड़ाई लड़ता रहा और अब वह जमीन पर उतरेगा. सोचिए कि ये युवा अपने जीवन का बेहतरीन समय आंदोलन में बर्बाद करने के लिए किसकी वजह से मजबूर हो रहा है.
पंचायतीराज एलडीसी भर्ती-2013 भी सात साल से पेडिंग हैं. आधे पद 2013 में भरे गए थे, लेकिन अब भी 10029 पदों पर नियुक्ति नहीं हो पा रही है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इस परीक्षा को लेकर मिठाई भी खा चुके हैं. इस मिठाई का कर्ज तो उन्हें चुकाना ही चाहिए.
हमारे नौजवानों की पोलिटिकल क्वालिटी वाकई बहुत खराब हो चुकी है. वे सिर्फ हिन्दू-मुस्लिम टॉपिक में एक्सेल यानी अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं. नौकरी के टॉपिक पर लाचार नजर आते हैं. एक पैटर्न तो हुआ कि भर्ती निकालो, एक दो साल उम्मीद बेचो, इम्तहान में उलझाए रखो और फिर इम्तहान रद्द कर दो, तब तक वोट ले लो. दूसरा पैटर्न यह लग रहा है कि सरकारी पदों को समाप्त किया जाए. क्या नौजवानों को यह सब पता है, जब वे कोचिंग के लिए लाखों फूंक रहे हैं, अपनी जवानी झोंकने का फैसला कर रहे होते हैं तो क्या उन्हें पता होता है कि भर्ती कम होगी, नौकरी नहीं निकलेगी.
रीट-अंग्रेजी और बाकी रीट के अभ्यर्थियों को शिक्षा मंत्री से बेहद उम्मीदें थी. वे एक दिन पहले उनसे मिलकर भी आए थे, लेकिन उन्हें फिर आश्वासन का लोलीपोप दे दिया गया. अब इन छात्रों का क्या कसूर है. वे फिर ट्विटर-ट्विटर खेलते रहेंगे. सरकार उनके ट्वीट को नजर अंदाज करती रहेगी. लेकिन-यह सब चलेगा कब तक. कभी-कभी लगता है कि नेता इन्हें नचाते रहते हैं और ये नाचते रहते हैं. यदि इन युवाओं को नौकरी नहीं देनी है तो सरकार मना क्यों नहीं कर देती. नेता इन्हें हर बार आश्वासन का काढ़ा क्यों पिलाते रहते हैं. रीट-लेवल-2 अंग्रेजी के लिए सरकार सुप्रीम कोर्ट जा ही क्यों कर रही है. सांवरमल शर्मा ने लिखा-हाईकोर्ट के निर्देश के बाद भी नियुक्ति नहीं दी जा रही.
इस बीच खबर आई है कि वरिष्ठ अध्यापक भर्ती-परीक्षा के नौ हजार से अधिक पदों को भी सरकार लटकाना चाहती है. आरपीएससी ने अभी तक फाइनल आंसर-की तक जारी नहीं की. मार्क्स बताए बगैर ही नियुक्ति की बड़ी बातें कर दी गई. अब इस मामले को लेकर कोर्ट में याचिका दायर कर दी गई है. यह पैतरा सही है. यदि यह नियुक्ति अटक जाती है तो सरकार कहेगी, हम क्या करें?
राजस्थान में टिड्डी दल ने किसानों की नींद उड़ा रखी है. इस बीच कृषि पर्यवेक्षक भर्ती दो साल से लंबित है. ये वुा हर दिन ट्विटर पर लिख रहे हैं. वे कहते हैं-कृषि पर्यवेक्षक की अहम भूमिका होती है. रामनिवास चौधरी ने मुझे ट्विटर पर लिखकर भेजा है. कुलदीप सिंह ने ट्विटर पर लिखकर कहा कि सदी का सबसे बड़ा टिडि्डयों का हमला होने जाने पर भी राजस्थान सरकार इन पर नियंत्रण पाने के लिए कृषि पर्यवेक्षक भर्ती-2018 के चयनितों को ज्वॉइनिंग नहीं दे रही. मुझे कई युवाओं ने विधायकों की चिट्ठी भेजी हैं. वे बताते हैं कि विधायक मुख्यमंत्री को नियुक्ति के लिए कई पत्र लिख चुके हैं, फिर भी उन्हें नियुक्ति क्यों नहीं मिल रही. मैं अकसर कहता हूं कि सिर्फ पत्रों से कुछ नहीं होने वाला. इन विधायकों से पूछिए कि वे मुख्यमंत्री के पास जाकर कब दबाव डालेंगे. सरकार क्या कर रही है. नियुक्ति देने में 2-2 बरस का समय क्यों लगाया जा रहा है.
एलडीसी भर्ती-2018 के 587 पदों का हिसाब अभी तक नहीं मिल पाया है. खुशबू ने लिखकर भेजा है कि बेरोजगार युवा रोज 100 किमी गांव से चलक सीएमओ में दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर है. कभी अधिकारियों के तो कभी विधायकों के पैर पकड़ रहे हैं, लेकिन न्याय नहीं मिल रहा है. शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने इस मामले को मुख्यमंत्री तक पहुंचाने का वादा किया था, लेकिन वे अभी तक अपने वादे को पूरा नहीं कर पा रहे हैं. युवा हर दिन ट्विटर पर उन्हें वादा याद दिलाते हैं. मैं शिक्षा मंत्री से अपील करता हूं कि इन छात्रों को बता दीजिए कि उन्हें न्याय मिलेगा या नहीं. ये छात्र 30 जून को जयपुर में धरने की तैयारी में है. अब आप सोचिए कि देश का भविष्य पूरा लॉक डाउन ट्विटर पर लड़ाई लड़ता रहा और अब वह जमीन पर उतरेगा. सोचिए कि ये युवा अपने जीवन का बेहतरीन समय आंदोलन में बर्बाद करने के लिए किसकी वजह से मजबूर हो रहा है.
पंचायतीराज एलडीसी भर्ती-2013 भी सात साल से पेडिंग हैं. आधे पद 2013 में भरे गए थे, लेकिन अब भी 10029 पदों पर नियुक्ति नहीं हो पा रही है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इस परीक्षा को लेकर मिठाई भी खा चुके हैं. इस मिठाई का कर्ज तो उन्हें चुकाना ही चाहिए.
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आप हमारा मैसेज एक बार सरकार तक पहुंचा दीजिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद सर जी