यह राज्य की अजीब तस्वीर है. नेताजी वोट खरीदने-बेचने में लगे हैं और युवा नौकरी मांगने में. सरकार खुद की है. इसलिए नेताजी को खरीदने के आरोप के एक पत्र पर जांच एसओजी को सौंप दी जाती है, लेकिन यही सरकार हाईकोर्ट के निर्देश के बाद भी नौकरी नहीं दे तो कोई जांच नहीं बैठाई जाती. यह राजनीति की अजब तस्वीर है, जिसे आज का युवा देख रहा है.
विधानसभा में शिक्षा विभाग ने आंकड़े दिए थे. आंकड़े शिक्षा के बुरे हालात की तस्वीर दिखाते हैं. प्रदेश में 70993 शिक्षकों के खाली पद पड़े हैं. सरकार ने रीट के जरिए 2016 और 2018 में तृतीय श्रेणी शिक्षकों की भर्ती करवाई. इन भर्तियों के लिए लाखों युवाओं ने आवेदन किया. इन युवाओं की गलती सिर्फ इतनी है कि इन्होंने आवेदन कर दिया. क्योंकि-5758 पद खाली पड़े हैं, लेकिन सरकार भरने की जहमत नहीं उठा रही. आंकड़े डराने वाले हैं. क्योंकि-विधानसभा में यही सरकार बताती है कि तृतीय श्रेणी शिक्षकों के 31493 पद खाली पड़े हैं. खाली पड़े पदों को भरने के लिए हाईकोर्ट भी आदेश दे चुकी है. सवाल यह है कि इन पदों को फिर सरकार भर क्यों नहीं रही? असल में, इन पदों को भरने की मांग करने के लिए ट्विटर पर हर सप्ताह अभियान चलाने वाले युवाओं की गलती सिर्फ इतनी है कि इन युवाओं ने वोट चुनी सरकार को दिए. उन्हें यह नौकरी भाजपा से मांगनी चाहिए थी. क्योंकि-विधानसभा चुनाव में भाजपा ने इन भर्तियों की घोषणा की थी.
भाजपा ने सरकार के आखिरी कार्यकाल में 54 हजार पदों पर भर्ती निकाली थी. इसमें से 28 हजार पद लेवल सैकंड और 26000 पद फर्स्ट लेवल के थे. यह भर्ती चुनाव में बड़ा मुद्दा बनी थी. सैकंड लेवल की प्रथम सूची के अभ्यर्थियों को सितंबर 2018 में नियुक्ति मिल गई थी. इसके बाद कांग्रेस की सरकार बनने के बाद 28 फरवरी 2019 को दूसरी सूची रिशफल व वेटिंग जारी की गई. लेवल प्रथम की मुख्य सूची में चयनित अभ्यर्थियों की नियुक्ति फरवरी 2019 में की गई, क्योंकि-उस वक्त लोकसभा चुनाव थे. इसलिए आचार संहिता में भी नियुक्तियां दी गई. एक साल बितने के बाद भी तीसरी सूची जारी नहीं की जा रही. युवाओं को इस राजनीति को भी समझना जरूरी है. युवा हर पार्टी के लिए सिर्फ एक वोट हैं. असल में, उनकी खुद की कोई कीमत नहीं है. अब जब निकाय चुनाव आएंगे. पंचायत चुनाव आएंगे तो इन युवाओं की फिर से याद आ जाएगी. काश! राज्य सभा चुनाव में सांसद चुनने का अधिकार लोकसभा की तरह लोगों को ही मिलता. फिर देखते यह युवा इन नेताओं को एक-एक वोट की तरह दिखते हैं और उन्हें नियुक्ति के लिए न तो कोई ट्विटर पर कैंपेन चलाना पड़ता और न ही किसी नेता से चिट्ठी लिखवानी पड़ती. नेताजी खुद ही आते. मीडिया में बड़े-बड़े बयान देते और दावा करते हैं कि उन्होंने सबसे ज्यादा नौकरी दी. भाजपा के नेता भी आते. वे दावा करते कि यह भर्ती तो उनकी ही सरकार ने निकाली थी.
शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा से युवा हर दिन ट्विटर पर इन भर्तियों को पूरा करने की मांग कर रहे हैं. आप शिक्षा विभाग और सरकारी स्कूलों की तस्वीर बदलने के लिए हर दिन अच्छी पहल कर रहे हैं. नवाचार कर रहे हैं. कई प्रयोग आपके सराहनीय है. अब आपको इन युवाओं का दर्द आगे आगकर समझना चाहिए. पहल करनी होगी. क्योंकि-इन युवाओं का गुस्सा बढ़ रहा है. यह प्रदेश के लिए ठीक नहीं है. युवा पीढ़ी के लिए अच्छा नहीं है. मुझे लगता है कि इन्हें यह नियुक्तियां जल्द से जल्द देनी चाहिए. मैं शिक्षा मंत्री से अपील करता हूं कि वे एक बार ट्विटर के जरिए ही इन युवाओं को भरोसा दिलाए कि वे फला महीने तक नियुक्ति का रास्ता साफ कर देंगे. यह आपके विभाग के हित में भी है. बहुत सारे युवाओं ने ट्विटर पर भी लिखा है कि अगर उन्हें नियुक्ति दी जाती है तो वे एक साल तक तनख्वाह नहीं लेंगे और उनकी नियुक्ति से करीब 122 करोड़ रुपए का आर्थिक लाभ सरकार को होगा, जिसे वे कोरोना वायरस की लड़ाई में लगा सकते हैं. तो देर किस बात की है शिक्षा मंत्री जी! आगे आइए और शिक्षा विभाग के खाली पदाें को भरने के लिए एक मुहिम शुरू कीजिए, क्योंकि-प्रदेश के हजारों युवा एक उम्मीद भरी नजर से आपकी तरफ देख रहे हैं.
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