अरविन्द शर्मा
आपने अमिताभ बच्चन की हालिया रीलिज 'पाÓ जरूरी देखी होगी और अमितजी के किरदार के कायल भी आप हो गए होंगे। लेकिन हकीकत का ऑरो 'पा' भी नहीं बोल पाता है। और यहां हकीकत में इस ऑरो का नाम अमित है। यह ऑरो न तो चल पा रहा है और न ही ठीक से बैठ पा रहा है। यहां तक की अब वह 'पा' भी नहीं बोल पाता है। चार वर्षीय अमित जयपुर के एक अस्पताल में दस दिन भर्ती रहकर घर लौट आया है। झुंझुनूं जिले से करीब 17 किमी पर बसे शिशियां गांव से आगे कच्चे रास्ते पर एक ढाणी में अमित का घर है। अमित प्रोजेरिया नामक बीमारी से पीडि़त है। अमित के मम्मी-पापा, दादी-दादा भावानात्मक दर्द को दिन-रात जी रहे हैं। उसके घरवालों ने तो अभी यह फिल्म देखी भी नहीं है। मासूम दुबली काया अब उसके बड़े सिर के बोझ को झेल नहीं पाती, उसके शरीर के आधे हिस्से में पेरेलाइसिस भी हो गया है। उसके बिना सहारे दिए सीधे बैठा भी नहीं जाता। फिर भी इस मासूम के दर्द सहने की ताकत गजब है।
बहुत तकलीफ में है असली ऑरो
अमित पूरे घर का चहेता है, यहां तक कि बच्चों का भी। 15 दिन पहले तक वह खूब खेलता था, मस्ती-शैतानी भी करता था, कुछ भी खा-पी लेता। आने-जाने वालों को राम-राम और टाटा भी करता था। याददाश्त भी खूब तेज, अंग्रेजी में बॉडी पाटर््स के नाम भी याद हैं। सैना से रिटायर अमित के बुजुर्ग दादा शिशपाल और पापा राजपाल ने ऐसा कोई डॉक्टर नहीं छोड़ा, जहां उसके ठीक होने की उम्मीद थी। दादी परमेश्वरी और मां अनिता ने कोई मंदिर-देवला नहीं छोड़ा, पर मन्नत फली नहीं। घरवाले बताते हैं कि जब यह डेढ़ साल का था, तभी सये वह ऑरो जैसा दिखने लगा था। दस महीने का हुआ तो सारे बाल उड़ गए और सिर पर नसें साफ उभरती दिखने लगीं। हाथ-पैर बिल्कुल लकड़ी जैसे दुबले होते गए, जिससे सिर का आकार बड़ा होने लगा।
आप चाहते हैं मदद करना
अगर आप अमित की मदद करना चाहते हैं तो 'आपकी खबरÓ ब्लॉग की मुहिम में जुट जाइए। अमित के दादा शिशपाल चौधरी से मोबाइल नंबर 09667288725 के जरिए संपर्क कर सकते हैं या हमें ईमेल करें और कमेंट करें।
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